गुरु का काम होता है hai
परमात्मा से सम्बन्ध स्थापित करवा देना.
हम जीवन में जो कुछ भी करते हैं- पूजा पाठ, दान पुण्य, व्रत उपवास, पढाई लिखाई या अपनी आजीविका का प्रयास, यह तब तक पूरी की पूरी सफलता नहीं देता जब तक की जीवन में कोई आध्यात्मिक गुरु न हो, क्योंकि हम जो भी करते हैं
हम जीवन में जो कुछ भी करते हैं- पूजा पाठ, दान पुण्य, व्रत उपवास, पढाई लिखाई या अपनी आजीविका का प्रयास, यह तब तक पूरी की पूरी सफलता नहीं देता जब तक की जीवन में कोई आध्यात्मिक गुरु न हो, क्योंकि हम जो भी करते हैं
उसे भगवान तक पहुँचाने का काम गुरु ही करते हैं.
हमारा मन जो सांसारिक गतिविधियों की ओर भाग रहा है
हमारा मन जो सांसारिक गतिविधियों की ओर भाग रहा है
उस मन को परमात्मा की ओर मोड़ देना गुरु का काम होता है.
गुरु को मन का डाक्टर कहा गया है.
जिस तरह से एक कुशल चिकित्सक शारीरिक रोगों को दूर करके हमें स्वस्थ बना देता है,
वैसे ही एक योग्य गुरु हमारी मानसिक बीमारियों को दूर करके हमारे मन को स्वस्थ बना देता है.
ये मानसिक बीमारियम हैं
तनाव, कुंठा, अवसाद, निराशा आदि. आज समाज में ये बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं.
इसका मूल कारण यही है
इसका मूल कारण यही है
की हमारे जीवन में कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं है.
अगर है भी तो योग्य नहीं है.
आज मनुष्य स्वयं को सर्व समर्थ समझने लगा है.
परिणामतः भौतिक सुख के साधन तो हम पा जा रहे हैं,
आज मनुष्य स्वयं को सर्व समर्थ समझने लगा है.
परिणामतः भौतिक सुख के साधन तो हम पा जा रहे हैं,
परन्तु वह हमें चैन देने की बजाय बेचैन कर रहे हैं.
हंसी-ख़ुशी, शांति, यह सब हमसे दूर हो रहे हैं,
हंसने के लिए हमें लाफिंग क्लब जाना पड़ रहा है.
हंसने के लिए हमें लाफिंग क्लब जाना पड़ रहा है.
मानव जीवन के तमाम लौकिक और परलौकिक सुख गुरु-दया पर ही आश्रित होते हैं.
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