में हु सजनी मिल का पत्थर॥.?

 "मिल का पत्थर "
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साहब श्री हरिन्द्रानंद जी

 ये पंक्ति माखनलाल चतुर्वेदी  जी का एक पत्रिका मै लिखा हुआ था जिसे साहब श्री ने अपने उपर लागू  किये है।
       " मै हु  सजनी मिल का पत्थर अंक पढो चुपचाप पधारो मत आरोपो आपने पन को मत मुझपे देवत्व उतारो।"
      यानी कि मिल का पत्थर जो की रोड के किनारे मे मिलता है 
किलोमीटर दर्शाने के लिए  वह न तो अपना  है न ही पराया वह हमलोगों को सूचित करता है
 कि  किलोमीटर देखो और आगे मंजिल की ओर बढो जो कि हमे 0 ( जिरो) किलोमीटर से गंतव्य स्थल तक मिलता है ।
              ठीक वैसा ही साहब श्री कहे है कि मै न आपका अपना हु न ही पराया , आप मुझे हटा कर भी नही हटा सकते फिर मुझसे लोगो  को क्यो जोडते हो या जोड रहे हो।

फिर साहब श्री कहते है आदमी का एक बडी खराब आदत होती है , जो दिखता  है  उसे पकड लेता है  और  जो नही दिखता  है उसे  छोड देता है ।
             शिव दिखता नही है  इसलिए  शिव की  दिशा  मे जाना थोडा कठिन कार्य है ।
पुनः कहते है मुझसे
 मिलते रहो मे बताता रहुंगा कि अभी कितनी दूरी है गंतव्य ( शिव ) तक पहुंचने मै।
इसलिए है गुरु भाई बहन साहब श्री के अनमोल  वचन को अपने जीवन में हम सभी को उतारना चाहिए ताकि हमारे आपके जिवन मै शिव गुरु अपना गुरु बन सके।
            आइये भगवान् शिव को अपना गुरु बनाये 🙏
                       --- ( शिव गुरु पत्रिका )से ।

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🙏आप सभी गुरु भाई बहनों प्रणाम🙏

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1 टिप्पणियाँ

  1. साहेब श्री के चरण कमलों में कोटी कोटी नमन 🙏🙏
    मैं शिव को गुरु मानी हुं। कय गुरु मुझे अपना शिष्या मानते हैं । मैं कैसे समझु

    जवाब देंहटाएं