जगत गुरु शिव को कलातीत कहा जाता है ये कला क्या है कला कितने प्रकार के होते है
और उन कलाओ को अपने जीवन में कैसे उतारा जाय?
उत्तर- शिव कलातीत कहलाते है यह यथार्थ है।
कला अर्थ है ज्ञान यानि समझ हमारे ऋषि मनीषि कहते है जहां तक हमारी बुद्धि ज्ञान काम करता है
वहा अध्यात्म यानि आत्मा परमात्मा का विज्ञानं प्रारम्भ नहीं होता है
जहा हमारी बुद्धि ज्ञान काम करना बंद कर देता है
वहा से अध्यात्म प्रारम्भ होता है यानी शिव को हम अपने ज्ञान से नहीं जान सकते है
हम अपने ज्ञान से से शिव तक नहीं पहुच सहते इसी लिये हमारे ऋषि ने कहा है
तवतत्वं न जानमि किदृशोसि महेश्वरः या दृशोसि महादेवः तादृशाय नमोनमः मतलब हे महेश्वर तुम्हे जानना समझना और पहचानना अनुमानस की सीमा से बाहर की बात है।
जैसे गणना की शक्ति हमारे आपके पास महाशंख से अधिक नहीं है
जबकि गणना की शक्ति इससे अधिक है तो हम उन्हें ज्ञान से कैसे समझ सकते है वे ब्रह्माण्ड के नियंता है धरती तो एक इकाई है हम धरती को तो आज तक नहीं जान सके तो शिव को कैसे जानेगे इसी लिए शिव को कलातीत कहा जाता है।
दूसरी बात ज्ञान के प्रकार की बात है
ज्ञान दो प्रकार के होते है
प्रथम जागतिक ज्ञान दूसरा आध्यत्मिक ज्ञान ।
इस ज्ञान को अपने में उतारने के लिये अखिल ब्रह्माण्ड के नियंता जगद्गुरु शिव को अपना गुरु बनाना होगा ।जब शिव आपके अपना गुरु होंगे गुरु शिष्य को अपने जैसा बनाते है
यानि शिष्य को शिव बनायेगे यानि गुरु शिष्य एक हो जायेगे यानि शिव हो जायेगे ज्ञान और शक्ति उतर जायेगा जरुरत है शिव को अपना गुरु बना लेने की।
कृष्ण के 16 कला एबं 64 कला निम्नलिखित है
श्रीक्रष्ण की 16 कलाओं का रहश्य
आप सभी जानते है कि भगवान श्री क्रष्ण 16 कलाओं से उत्पन्न हुए थे ।
ये 16 कलाएं कौन सी है और उनका जीवन के साथ क्या संबंध है ?
ये मैं आपको बताता हूँ ।
1-प्राची दिग कला 2- दक्षिण दिग कला 3—प्रतीची दिग कला 4 उदीची दिग कला
5-प्रथ्वी कला 6-अन्तरिक्ष कला 7 समुद्र कला 8 वायु कला
9-चन्द्र कला 10-सूर्य कला 11 विधुत कला 12-अग्नि कला
13-मन कला 14-चक्षु कला 15 घ्राण कला 16-श्रोत कला
प्राची दिग कला को पूर्व दिशा भी कहते है ।
पूर्व दिशा का रहस्य क्या है ?
यह दिशा बहुत ऊर्जात्मक क्यो है ?
इस दिशा की पूरी जानकारी भगवान क्रष्ण जानते थे ।
दक्षिण दिग कला को दक्षिण दिशा , प्रतीची दिग कला को पश्चिम दिशा और उदीची दिग कला को उत्तर दिशा कहते है ।
इन दिशाओं मे क्या क्या उपलब्ध है ? इस सभी दिशाओं के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहश्य को भगवान श्री क्रष्ण जानते थे ।
प्रथ्वी कला – प्रथ्वी मे कहाँ मीठा पानी है और कहाँ कड़वा पानी है ,
कहाँ सोना और चाँदी है और प्रथ्वी के अंदर क्या क्या खनिज लवण छिपा है तथा प्रथ्वी कैसे बनी और प्रथ्वी का आधार क्या है ?
उन सभी रहश्यों को भगवान श्री क्रष्ण जानते थे ।
इसी प्रकार अन्तरिक्ष क्या है ?
और इसका वैज्ञानिक रहश्य क्या है ?
अन्तरिक्ष क्यो बना ?
और अन्तरिक्ष मे क्या क्या उपलब्ध है ?
समुद्र और वायु का रहश्य क्या है ?
इतना विशाल समुद्र क्यो बना है ?
वायु कैसे काम करती है और वायु कितने प्रकार की है ?
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