अभी सिर्फ देख शिख होता है
वो ऐसे कर रहा है हम भी ऐसे करे।पूजा में 4 चीज होना अनिवार्य है
प्रेम
श्रद्धा
समर्पण
विस्वास
जो की अभी किसी में नहीं के बाराबर है
तो सही मायने में तो पूजा हमसे पूजा होती नहीं है
पद्धति मतलब नियम तरीका जो हमें मालूम नहीं है
हमारे पूर्वज जो बेल पत्र चढ़ाते थे देख के हम भी चढाने लगेहमारे पूर्वज जैसे जैसे पूजा करते थे
हम वेसे ही करने लगे चाहे वो सही हो या ना हो।पूजा कैसे किया जाता है
तो पहले जान ले पूजा कैसे की जाती है गुरु सिखाते है!
शिव की शिष्यता
शिव की शिष्यता में जरुरी नहीं
प्रेम हो
श्रद्धा हो
समर्पण हो
विस्वास होकिसी विद्यार्थी को अपने गुरु के प्रति प्रेम,श्रद्धा,समर्पण,विस्वास नहीं होता फिर भी गुरु अपने शिष्य को पढ़ाते है और एक दिन काबिल बना के समाज में खड़ा कर देते है।
पूजा पद्धति और शिव की शिष्यता अलग है
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🙏आप सभी गुरु भाई बहनों प्रणाम🙏
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