Sahab shree harindranand ji |
शिव शिष्यता में नियम कानून होना चाहिये था वो गुरु का काम है
लेकिन ?? जितना सख्त नियम शिव शिष्यता में है शायद और किसी पंथ पंथाय में नही दिखता है
गुरु ने कुछ नही कहा है खाली कहा है कि जाओ तुम दुसरो से गप करो इस आदेश में इतना ताकत है कि
अब आप दूसरों से बात करने जाएंगे तो ???
आप पहले से शराब पीते हैं तो आप शराब छोर के साफ सूत्रा कपड़ा डालेंगे और मुह महके नही दारू का इसलिए माउथ फ्रेशनर खाएंगे और तब सरीफ के तरह बात करेंगे गुरु की देखिए गुरु ने नही बोले कि शराब पीजिये या छोड़िये यहां अपने आप नियम लागू हुआ
अब आपके शरीर से बदबु आता है तो अब आपकी बात कोई नही सुनेगा
क्यो लोग सोचेनगे की ये क्या बोलेगा इसका अपने शरीर बदबू देता है अब देखिए आप की बात कोई नही सुनेगा तो गुरु की आदेश अब आप से नही होगा
अब आपको समाज मे एक सरीफ आदमी बनना पड़ेगा देखिए गुरु का नियम कानून लागू हो रहा है गुरु ने कुछ नही कहा खाली कहा कि जाओ तुम दुसरो से बात करो।
शिष्य में भी शिष्य भाव जितना होता है उतना गुरु भाव भी होता है।
लेकिन
कोई गुरु नही होता। यहाँ सब शिष्य होते है।
शिव शिष्यता को कहा गया है ये तो प्रेम की विधा है।
ईश्वर से प्रेम की विधा है।
और प्रेम में कोई नियम कानून नही चलता। वहाँ प्रेमी अपने प्रेम पात्र जो कह दे वही नियम कानून होता है।
अगर प्रेम को समझा जाये तो लगता है
प्रेम में दुनिया का सारा नियम और कानून होता ।
लेकिन इसको अगर देखने की कोशिश करेंगे तो जितना प्रेम में नियम कानून दिखेगा उतना और कहीं अपने आप मे प्रेमी से भय बना रहता कि मेरे किसी भी चूक या गलती से मेरा प्रेमी मुझसे रुष्ट न हो जाय इसलिए उसका प्रेमी जैसा कहता वह वैसा हीं करने की कोशिश करता है!
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🙏आप सभी गुरु भाई बहनों प्रणाम🙏
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