क्या ज्ञान के बिना प्रेम शुन्य है ?

Sahab shree harindranad ji, shiv sishy harindranand ji, sahab hrinder bhaiya ji,
साहब श्री हरिन्द्रानंद जी
क्या ज्ञान के बिना प्रेम शुन्य है ? 

उत्तर -  हा, क्योंकि ज्ञान के बिना प्रेम हो ही नही सकता अगर हो भी गया तो वह आत्मघाती भी हो सकता है
 इसलिए  कहा जाता है कि ज्ञान के बिना प्रेम का सार्थकता समझ पाना बहुत ही कठिन है ।
और हमे लगता है ईश्वर के प्रति प्रेम को जगा पाना बिना जगत गुरु शिव की दया से हो ही नही सकता ।

अब एक विचार करते है कि प्रेम है क्या ?
   प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जिसका वर्णन शब्दो मै करना सम्भव नही , मात्र इसका अनुभव किया जा सकता है ।
            प्रेम दो सत्ता के बीच उत्पन्न होता है 
पर  बाद मे दोनो सत्ताएं एक दूसरे मे इस तरह घुल मिल जाती है कि फर्क कर पाना संभव नही होता।

         यहा कबीर ने ठीक ही कहा है -  प्रेम गली अति संकरी जामे दुई न समाए।

साहब श्री  का कहना है ---
         कि हमारा आपका प्रेम तथाकथित है, 
 क्योंकि प्रेम में माँग तो हो ही नही सकता,  अगर है
 तो वो प्रेम हो ही नही सकता । 
प्रेम तो इबादत है । 
एक अदभुत पुकार है अपने प्रेमी के  लिए ।
यहा खुद को याद करने की फुर्सत कहाँ?

       फिर साहब श्री कहते है ,
  व्यक्ति का जगत के प्रति प्रेम स्वाभाविक है किन्तु यह स्थिति सही गुरु के अभाव मे आत्मघाती  पगडंडियो पर आपको ले जाएगी और ऐसा देखने को मिल भी रहा है ।
इसलिए कहते है  कि बिना ज्ञान के प्रेम संभव   नही है ।
       
            है गुरु भाई बहन कुछ छनो के लिए आप वरेण्य गुरुभ्राता के विचारो को झूठा ही सही , लेकिन मान कर देखिए।
प्रेम ही आपका धर्म , आपकी जाति और आपका मजहब न हो जाए तो कहियेगा ।
       झूठे प्रेम का अभिनय धीरे धीरे आपको सचमुच के प्रेम का अनुभव करा देगा और आप स्वयं कहियेगा की " मेरे सुख अब तेरे,  तेरे दुख अब मेरे " ।

आइये भगवान शिव को अपना गुरु बनाये 🙏

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